ये तेरा रूप ही तो है,
जिसे मैं बार-बार निहारता हूँ.
तेरे चेहरे की ये लालिमा,
जब मेरे आँखों मे ओझल हो जाती हैं।
तो हर बार बहक जाता हूँ मैं,
एक नये अरमान के लिए,
एक खूबसूरत अंज़ाम की तरफ.
और महसूस करता हूँ मैं,
तेरे बदन की खुश्बू
जो मदहोश कर देती है मुझे,
एक पल,हर पल ,हर लम्हा.
और बेकरार रहता हूँ मैं,
तुझे पाने के लिए,
तुझे हर बार निहारने के लिए.
नीतीश तिवारी
8 Comments
Bahut sunder...Nav varsh shubh ho
ReplyDeletedhanywaad aapka...aako bhi nawwarsh ki hardik shubhkamna..
Deletenice shayari
ReplyDeletehttp://vanduchoudhary.blogspot.in/
thank u so very much
Deleteबढ़िया!
ReplyDeleteशुक्रिया आपका
Deleteबेहतरीन कविता....।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।