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मैं और वो





              एक चाँदनी रात की बात थी,
               जब  वो  मेरे साथ  थी,

      ज़ुल्फो को उसकी सँवारता रहा,
      अपनी चाँद को मैं निहारता रहा,

      ख्वाबो में उसके उतरने को था,
      जादू से उसके बहकने को था.

      रातों की नींद उड़ने लगी थी,
       दिन का चैन खोने लगा था.

       सांसो की मुझको फ़िक्र ही नही थी,
       मुझमे बसी थी धड़कन जो उसकी.

     आशियाने की चाहत नही थी मुझको,
     आँचल जो उसका मेरा साथ अब था.

       धड़कने लगा था मेरा दिल जब से,
       तड़पने लगी थी वो भी तब से,

        कशिश जो उसकी आँखो में थी,
        दीवाना बनाती है अब भी वो मुझको,

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