सारी कारीगरी खुदा ने तुम पर नेमत कर दी, और तुम्हारी शिकायत कि हर कोई तुम्हे देखता है. अपने होठों पर हँसी यू ही बनाए रखना, अपने दिल मे कोई…
Read moreये परिंदे जो उड़ने को बेताब हैं, उनके ये पर तुम क्यूँ काटते हो. ये बच्चे जो एक-एक दाने को मोहताज़ है, उनके बीच ये जूठन क्यूँ बाँटते…
Read moreयहाँ हर दिया बुझने पर मजबूर है, और तुम रौशनी की दरकार करते हो, खुदा के कैसे बंदे हो तुम जो, हर सहरी पर इफ्तार करते हो. वो वक़्त भी गु…
Read moreऐ खुदा कैसा वो मंज़र होगा, जब सारा समंदर बंज़र होगा, लोग तरसेंगे एक एक बूँद को, तब तू ही जहाँ का सिकंदर होगा. © नीतीश तिवारी
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