फ़ुर्सत अगर होता तो हक़ीकत बयान करते, बातों से नही अपनी नगमों से दास्तान कहते, ज़िंदगी की इस भीड़ ने दो राहे पर खड़ा कर दिया वरना, मं…
Read moreफ़ुर्सत में मैं ग़ज़ल लिखता हूँ, तेरी यादों का एक सफ़र लिखता हूँ. वो वक़्त जो थम सा गया था कभी, उस वक़्त की रगुजर लिखता हूँ. …
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