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Photo by AMISH THAKKAR on Unsplash |
तारों वाली रात है.
जुगनूओं की बारात है,
साथी तुम सज धज कर रहना,
होने वाली मुलाक़ात है.
बिंदी की चमक बनाए रखना,
आँखों में काजल सजाए रखना,
होठों की लाली तो सुंदर है ही,
थोड़ा सा घूँघट उठाए रखना.
रूप तुम्हारा लाजवाब है,
जैसे कोई खिलता गुलाब है,
बरसों से कई सवाल थे मेरे,
आज मिल गया जवाब है.
धड़कन पर मेरे अब काबू नहीं है,
हक़ीक़त है ये कोई जादू नहीं है,
मोहब्बत की महक चारों तरफ है,
कैसे कह दूँ तुझमें खुश्बू नहीं है.
©नीतिश तिवारी।
बहुत ख़ूब नीतीश जी ! एक-एक लफ़्ज़ रूमानी एहसास से सराबोर ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
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