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Bewfai ke baad bhi pyar.
अच्छा लगा मुझे
तेरा पीछे से
वार ना करना
हाँ मैं ही
कह रहा हूँ
अच्छा लगा मुझे
तेरा सामने से
इनकार करना
अपनी खूबसूरत
अदाओं को
मेरे दुश्मन के
नाम करना
अच्छा लगा मुझे
अपनी जरूरतों को
पूरा करने के लिए
तेरा किसी और
का इस्तेमाल करना
अच्छा लगा मुझे
©नीतिश तिवारी।
10 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-02-2019) को "समय-समय का फेर" (चर्चा अंक-3257) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत धन्यवाद सर।
Deleteअच्छा लगा मुझे
ReplyDeleteतेरा पीछे से
वार ना करना
बहुत सुन्दर....
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deletebahut khoob
ReplyDeleteशुक्रिया।
Deleteवाह, ख़ूब
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।