इश्क़ में उसने कुछ ऐसा गुनाह कर दिया,
मुझको कैद करके खुद को आज़ाद कर दिया,
मैं उसकी जुल्फों की घनी चादर में खुद को छिपाता रहा,
उसकी कातिल अदा ने मेरी तबियत नासाज़ कर दिया।
©नीतिश तिवारी।
मुझको कैद करके खुद को आज़ाद कर दिया,
मैं उसकी जुल्फों की घनी चादर में खुद को छिपाता रहा,
उसकी कातिल अदा ने मेरी तबियत नासाज़ कर दिया।
©नीतिश तिवारी।
2 Comments
इश्क़ वाले ऐसे खेल खेलते हाई रहते हैं ...
ReplyDeleteसुंदर मुक्तक ...
जी बिल्कुल सही कहा आपने।
ReplyDeleteधन्यवाद।
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