कितने अच्छे लग रहे हैं न ये बच्चे,हाथ में तिरंगा लिए हुए। आज मुझे इन बच्चों में अच्छाई इसलिए नज़र आ रही है कि इन्हे नहीं पता है कि धर्म,सम्प्रदाय और जाति क्या होता है। इन्हे तो बस इतना पता है की भारत हमारा देश है और ये भारत का तिरंगा झंडा है। पिछले 2-3 महीने से देश में जो धर्म, सम्प्रदाय और जाति के नाम पर जो लोगों को बाँटने का काम किया जा रहा है,सरदार पटेल के इस अखण्ड भारत के सपने के लिए ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है। आज देश के एक विशेष वर्ग को लगता है कि देश में असहिष्णुता का माहौल है और ये बढ़ रहा है। मैं कई दिनों से सोच रहा था कि देश के इस मौजूदा हालात पर कुछ लिखूँ ,लेकिन फिर दिमाग से इस बात को निकाल देता था कि मैं क्या लिखूंगा। सबको तो पता ही है कि क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए। लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से असहिष्णुता को लेकर दो लोगों के बयान आये उसने मेरे अंदर के साहित्यकार (सम्मान लौटाने वाला नहीं ) को लिखने पर मजबूर कर दिया। उन दो लोगों के नाम हैं -मुन्नवर राणा और शाहरुख़ खान। मैं व्यक्तिगत तौर पर इन दोनों का बहुत बड़ा