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जी भरके कब देखोगी मुझे?

Pic credit : Twitter. 














वही हुस्न, वही जवानी, वही नज़ाकत, वही ख़ुमार,

चाँद कितना भी छिपे बादलों में, हो ही जाता है प्यार।


Wahi husn, wahi jawani, wahi najakat, wahi khumaar,

Chand kitna bhi chhipe badalon mein, ho hi jata hai pyar.


ख्यालों में कब सोचोगी मुझे,

जी भरके कब देखोगी मुझे।


Khayalon mein kab sochogi mujhe,

Jee bharke kab dekhogi mujhe.


रात में सुनहरे ख़्वाब आते हैं,

बड़े गाड़ियों में तो नवाब आते हैं,

ख़त लिखके हमें इंतज़ार की आदत है,

क्योंकि बरसों बाद उनके जवाब आते हैं।


Raat mein sunahre khwaab aate hain,

Bade gadiyon mein toh nawaab aate hain,

Khat likhke humen intzaar ki aadat hai,

Kyunki barson baad unke jawab aate hain.


© नीतिश तिवारी।

 

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4 Comments

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२१-०८-२०२१) को
    'चलो माँजो गगन को'(चर्चा अंक- ४१६३)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

      Delete

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