तुम्हें पाना चाहता हूँ।
Pic credit : Pinterest.
भौतिक संसाधनों से परे,
नाम और शोहरत की
भीड़ में भी मैं
सिर्फ तुम्हें तलाश
करता हूँ।
इस निरर्थक जीवन में
सिर्फ एक काम
जो सार्थक लगता है
तुम्हें तलाश करना।
वही बातें वही रातें
चंद मुलाक़ातें
फिर से लाना चाहता हूँ
तुम्हें ढूँढना चाहता हूँ
तुम्हें पाना चाहता हूँ।
©नीतिश तिवारी।
अच्छा लगता है दुनियादारी से दूर सुनहरे पलों में जीना उन्हें दुहराना और खुश होना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में रविवार 06 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (0६ -१०-२०१९ ) को "बेटी जैसा प्यार" (चर्चा अंक- ३४८०) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
आपका आभार।
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteचाहतों के मेले हैं चारों तरफ क्या कीजे....
ReplyDeleteसुंदर रचना
नये ब्लोगर से मिलें- अश्विनी: परिचय (न्यू ब्लोगर)
धन्यवाद।
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपका शुक्रिया।
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteआभार।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteबढिया है।
ReplyDeleteशुक्रिया।
Deleteबहुत खूब...
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteउम्दा/बेहतरीन।
आपका धन्यवाद।
Delete