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Why congress is demanding ban on the movie- The Accidental Prime Minister.

















Why congress is demanding ban on the movie- The Accidental Prime Minister.


हाँ जी भईया, तो बात ये है कि मनमोहन सिंह जी की जीवनी पर एक फ़िल्म बनकर तैयार है जिसकी रिलीज़ की तारीख 11 जनवरी 2019 तय की गई है। फ़िल्म का नाम है- The Accidental Prime Minister. फ़िल्म पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू के किताब पर आधारित है। फ़िल्म में मनमोहन सिंह का किरदार अनुपम खेर ने निभाया है और संजय बारू का किरदार अक्षय खन्ना ने। और भी कुछ मंझे हुए कलाकार हैं जिन्हें देखना दिलचस्प रहेगा।

अब मीडिया सलाहकार का सीधा सा मतलब है कि आपके सरकार और कार्यकाल के बारे में बहुत सारी जानकारी रखना। जाहिर सी बात है कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान संजय बारू उनके मीडिया सलाहकार थे तो उनको भी बहुत सारी ऐसी बातें पता होंगी जो आम लोगों को नहीं पता है। तभी उन्होंने किताब भी लिखी थी।

अब आप सोंच रहे होंगे कि इसमें नया क्या है? बहुत सारे लोगों के बारे में किताब लिखी जाती है और उनपर फ़िल्म भी बनती है। नयी बात ये है कि फ़िल्म का ट्रेलर आते ही विवादों में घिर गई है। और कांग्रेस द्वारा इस फ़िल्म पर बैन लगाने की माँग भी की जा रही है। बैन इसलिए कि 2019 का आम चुनाव नजदीक है और फ़िल्म भी जनवरी में ही रिलीज़ हो रही है। काँग्रेस पार्टी को लगता है कि इससे उनका बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।  भाई, फायदा तो वैसे भी नहीं होने वाला। 2019 में तो मोदी जी ही आएँगे। रही बात बैन लगाने की तो लगा दो। गिने चुने राज्यों में तो काँग्रेस की सरकार है। कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला।

इसमें कोई शक नहीं है कि मनमोहन सिंह जानकार और ईमानदार आदमी हैं। लेकिन उस ईमानदारी का क्या फायदा जब एक के बाद एक घोटाले हुए हों और आप देश के प्रधानमंत्री रहकर भी कुछ ना कर पाए। राजा के यहाँ नौकरी करनी अच्छी बात है लेकिन राजा का गुलाम बनना नहीं। अगर मनमोहन सिंह अपने पद का पूरा इस्तेमाल किये होते तो शायद उनको सबसे कमजोर प्रधानमंत्री ना कहा जाता। ना ही किताब लिखी जाती और ना ही फ़िल्म बनाई जाती। रही बात सोनिया गाँधी की तो वो लगभग राजनीति से सन्यास ले चुकी हैं और राहुल गाँधी को उनके ही पार्टी के लोग सीरियसली नहीं लेते।  3 राज्यों में जीतकर काँग्रेस जरूर इतरा रही होगी लेकिन ये काँग्रेस की जीत से ज्यादा NOTA और भाजपा की गलतियों का परिणाम था।
हाँ, एक बात जरूर है कि फ़िल्म रिलीज़ होने से बहती गँगा में हाथ धोने का काम भाजपा वाले जरूर कर लेंगे।

अनुपम खेर का कहना है कि इस फ़िल्म में उन्होंने अपने जीवन का बेहतरीन काम किया है। ठीक है, हो जाने दीजिए रिलीज़, देख लेंगे सबका काम। वैसे भी मेरा मानना है कि एक फ़िल्म के आ जाने से मनमोहन सिंह की छवि ना तो अच्छी हो जाएगी और ना ही बुरी। जैसी थी वैसी ही रहेगी। 

और एक बात बता दूँ आपको।
2019 में तो मोदी जी ही आएंगे।

पोस्ट पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अच्छी लगी हो तो शेयर कर दीजियेगा।

©नीतिश तिवारी।


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1 Comments

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