शायरी आपके लिए।

तुझको चाहा तो मैंने मगर पा ना सका, तेरी आँखों की दरिया में डुबकी लगा ना सका, तुम्हे मेरी ज़िन्दगी के उजाले से नफरत थी, चारों तरफ अंधेरा था, मैं तेरे पास आ ना सका। तेरे चेहरे की रंगत को मैं पा भी ना पाया, और इस दर्द की दवा को मैं ला भी ना पाया। तुझे फुर्सत मिले तो कभी याद कर लेना, ज़िंदा हो चुका हूँ, फिर से बर्बाद कर लेना। ©नीतिश तिवारी।