और तुम भी हो.
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आज कयामत की रात है, और तुम भी हो. आज बग़ावत वाली बात है, और तुम भी हो. आज उलझे हुए ज़ज्बात हैं, और तुम भी हो. आज बिखरे से हालात हैं, और तुम भी हो. आज मौसम में बहार है, और तुम भी हो. आज साँसों में खुमार है, और तुम भी हो. आज कोयल करती पुकार है, और तुम भी हो. आज फिर से इतवार है, और तुम भी हो. आज देश में फैला भ्रष्टाचार है, और तुम भी हो. फिर भी हम बेरोज़गार हैं, और तुम भी हो. nitish tiwary.