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मैं सिर्फ़ तुम्हें चाहूँगा.



















पहली धूप से लेकर,
आख़िरी बरसात तक.
ठंडी सुबह से लेकर,
सुहानी शाम तक.
मैं सिर्फ़ तुम्हें चाहूँगा.

फूलों की बगियों से,

बसंत के पतझड़ तक.
रेत के रेगिस्तान से.
बादल के बरखा तक.
मैं सिर्फ़ तुम्हें चाहूँगा.

©नीतिश तिवारी।

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11 Comments

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    आपका लेख Your Share Post

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  3. शादी के बाद ही असली परीक्षा होती है प्यार की
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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    1. हां सही कहा आपने। धन्यवाद।

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  4. वाह बहुत सुंदर
    बधाई

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (09-02-2017) को (चर्चा अंक-2874) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    Replies
    1. मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।

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