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उसी गली में मेरा भी घर है।



नज़र नज़र में तेरा असर है,
बाकी सब तो बेअसर है ,
तुझे मैं देखूँ जिस गली में,
उसी गली में मेरा भी घर है। 

सुरूर तो मोहब्बत का था ,
कसूर तो शरारत का था ,
फिर भी अंजाम तक ना पहुँच पाया ,
क्योंकि बेक़सूर मैं अपनी हरकत से था। 

©नीतीश तिवारी। 

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8 Comments

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (26-01-2015) को "गणतन्त्र पर्व" (चर्चा-1870) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    गणतन्त्रदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये।

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    1. धन्यवाद सर, आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये।

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  3. बढ़िया ........गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये।

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  4. अनुपम..... बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो

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